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Yeh bhumi hai Bihar ki

 बिहार दिवस के अवसर पर एक बार फिर से एक कविता लिखने का प्रयास किया हूं।आशा करता हूं आप सबों को पसंद आएगी।

#ये_भूमि_है_बिहार_की

ये भूमि है ज्ञान की 

ये गौतम की जन्मभूमि है।

जिससे गंगा का आंचल है।

ये भूमि है, विश्व की पहली लोकतंत्र की 

जहां बाधित्व की करुणा है 

जहां महावीर का शांति मंत्र है 

जहां अशोक की धर्मध्वजा हैं।

ये भूमि है, बापू की कर्मभूमि की

जहां गुरुगोविंद की वाणी है 

जहां वाल्मीकि ने रचि रामायण है 

जहां विश्व की पहली ज्ञानदीप नालंदा हैं।

ये भूमि है, भारत की कंठहार की 

जहां का इतिहास गौरवशाली है 

जहां सीता की जन्मभूमि है 

जहां आज भी संस्कार, परम्परा, संस्कृति जीवित हैं।

ये भूमि है, बलिदान की 

जहां कुंवर ने रचा इतिहास है 

जहां छठ सिर्फ पर्व नहीं, संस्कृति है, संस्कार है, विरासत है,

जहां लिट्टी चोखा प्रसाद हैं।

ये भूमि है, दानवीर की

जहां शारदा की मधुर स्वर है 

जहां मांझी के हौसले बुलंद हैं 

जहां दिलों में बसता प्रेम हैं।

ये भूमि है, बिहार की 

ये भूमि है, बिहार की।

कविता~शैलेश कुमार कानू दलसिंहसराय

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